नई दिल्ली। शनिवार का दिन शनिदेव का दिन माना जाता है और इस दिन शनि के साथ ही पीपल के पेड़ और हनुमान जी की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। शनि को ग्रहों की पूजा में भी शामिल किया जाता है क्योंकि शनि ग्रह भी हैं।
शनि की पूजा अकसर लोग भय के कारण करते हैं ताकि उनके जीवन में किसी प्रकार का अनिष्ट न हो। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है शनि कर्म प्रधान देवता हैं जो कर्मों के अनुसार फल देते हैं।
आइए आज जानें शनिदेव से जुड़ी ये 7 बातें..
शनिदेव सूर्यदेव के पुत्र हैं और इनकी माता का नाम छाया है। शनि को मंदा, कपिलाक्क्षा और सौरी के नाम से भी जाना जाता है।
शनि नवग्रहों में से एक हैं जो इंसान के जीवन में प्रभाव डालते हैं। ऐसा माना जाता है कि शनि किसी भी व्यक्ति के बुरे प्रभावों को कम करने में मदद करते हैं।
शनिदेव को बुरे ग्रहों में नहीं गिना जाता है क्योंकि यह व्यक्ति को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
शनि कठिन परिश्रम, अनुशासन, निर्णय लेने की क्षमता आदि गुणों के लिए जाने जाते हैं। शनि मनुष्य के इन्हीं गुणों से प्रभावित होकर फल देते हैं और जो लोग ऐसा नहीं करते हैं उन्हें ही अपने जीवन में बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
शनिदेव की पूजा करने का सबसे अच्छा तरीका है उनका सरसों के तेल से अभिषेक कराना। ऐसा करने से सभी प्रकार की विपत्तियों से मुक्ति मिलती है।
शनि का प्रभाव व्यक्ति पर उसके कर्मों के अनुसार पड़ता है इसलिए शनिदेव को कर्म का फल देने वाले देवता के रूप में भी जाना जाता है।
शनि भगवान शिव शंकर के परम भक्त हैं।