उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गौ संरक्षण केंद्रों को ग्रामीण रोजगार का प्रमुख स्रोत बना दिया है। राज्य सरकार ने इसके लिए कई योजनाएं तैयार की हैं और उन्हें राज्य में लागू किया है. प्रदेश के पांच हजार से अधिक गौ संरक्षण केंद्रों में स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ाकर उन्हें रोजगार से जोड़ने का काम किया गया है. राज्य में 5,448 गौ संरक्षण केंद्रों में 7.77 लाख से अधिक गायों का संरक्षण किया जाता है। उत्तर प्रदेश के ये गौ रक्षा केंद्र बेसहारा गायों के साथ-साथ बेरोजगार ग्रामीणों का सहारा बनते जा रहे हैं। गोरक्षा से जुड़ी योजनाओं से स्थानीय लोगों को सीधा जोड़ा जा रहा है.
गोपालकास को 1,05,219 गायें दी गई हैं
राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में विशाल गौ संरक्षण केंद्र स्थापित किए हैं। वहीं शहरी क्षेत्रों में कान्हा गौशाला व कान्हा उपवन के नाम से गौ रक्षा केंद्र स्थापित किए गए हैं. मुख्यमंत्री बेसहारा गोवंश भागीदारी कार्यक्रम में 57,413 गोपालकों को 1,05,219 गायें दी गई हैं। अब तक 5 लाख से अधिक गायों को संरक्षित किया जा चुका है। राज्य सरकार गोरक्षा केंद्रों के लिए गौरक्षकों को प्रति दो एकड़ भूमि पर एक लाख 20 हजार रुपये का अनुदान दे रही है।
गोवंश के लिए सरकार ने बनाई ठोस योजना
साल 2017 में जब योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश की बागडोर संभाली थी, तब तक वह लगातार गोरक्षा पर काम कर रही थी. योगी सरकार ने बेसहारा और बेसहारा गायों की सुरक्षा के लिए ठोस योजना बनाकर उनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. राज्य में पशुपालकों, किसानों और कुपोषित परिवारों को प्रोत्साहित करने के लिए भी वित्तीय सहायता दी जा रही है.
प्रति माह 900 रुपये दिए जा रहे हैं
मुख्यमंत्री बेसहारा एवं बेसहारा गौवंश भागीदारी योजना के तहत एक गाय व एक लाख रुपये देने की योजना का सीधा लाभ लोगों को मिल रहा है. बता दें कि प्रदेश में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को मिलाकर कुल 5278 अस्थाई व स्थायी गौशालाएं स्थापित की गई हैं. इतना ही नहीं 15 हजार से अधिक कुपोषित परिवारों को गाय सहित 900 रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता दी गई है।