लेवल एक यानी हरियाणा में बैठा वो शख्स है, जिसके पास बड़ी मात्रा में शराब है और वो उसे बिहार, गुजरात या किसी दूसरे राज्य में भेज रहा है. इस शराब माफिया को किसी भी लेवल से जुड़ा कोई व्यक्ति चेहरे या नाम से नहीं जानता. बस लेवल दो से जुड़ा व्यक्ति ही इस माफिया को सिर्फ मोबाइल नम्बर से जानता है.
लेवल दो होता है दलाल. इसका काम हरियाणा के शराब माफिया का संपर्क बिहार और गुजरात में अवैध शराब खरीदने वाले माफिया से कराना होता है. संपर्क कराने का ये खेल पूरी तरह मोबाइल पर होता है. खास बात ये कि बीच की कड़ी का ये मोहरा ही दोनों लोगों से बातचीत के बाद तय करता है कि माल हरियाणा से किस दिन निकलेगा और किस दिन तक पहुंचेगा दूसरे राज्य में पहुंचेगा.
लेवल तीन का काम छोटा लेकिन बहुत ही खास है. लेवल तीन अवैध शराब को हरियाणा में रखने के लिए गोदाम का इंतज़ाम करता है. साथ ही, शराब को एक तयशुदा दिन और वक्त पर ट्रक में लोड कराने का काम करता है. शराब ट्रक में लोड होते ही लेवल तीन का काम खत्म हो जाता है और वो लेवल दो को माल लोड हो जाने की जानकारी दे देता है.
लेवल चार का काम तस्करी के लिए ज़रूरी सामान का इंतज़ाम करना है. लेवल चार ही ट्रक का इंतज़ाम करता है. साथ ही, हर लेवल पर दिए जाने वाले मोबाइल फोन और सिम, शराब के लिए फर्ज़ी कागज़ तैयार कराने व कार का इंतज़ाम की ज़िम्मेदारी भी लेवल चार की होती है. सबसे खास ये कि शराब से लदे ट्रक को गोदाम से हरियाणा के ढाबे पर खड़ा करने का काम भी लेवल चार ही करता है.
लेवल पांच का काम शराब से लदे ट्रक को पायलट करना है. ये पायलट कार ट्रक से तीन से पांच किमी की दूरी बनाकर चलती है. रास्ते में जैसे ही कहीं चेकिंग या कोई खतरा दिखाई देता है, तो पायलट कार ट्रक ड्राइवर को फोन कर देती है. इसके बाद ट्रक ड्राइवर या तो कुछ देर ट्रक रोक लेता है या दूसरे रास्ते पर डाल देता है. ये बार्डर पार कराने का पूरा खेल है. कानपुर में कंटेनर इसलिए पकड़ा गया क्योंकि हरियाणा से साथ चली पायलट कार यूपी वेस्ट का बार्डर पार कराकर बुलंदशहर से वापस लौट गई थी. इसके बाद ट्रक को दूसरी पायलट कार मिलनी थी लेकिन कानपुर पहुंचते ही पुलिस ने ट्रक के लिए जाल बिछा रखा था.
लेवल छह में सिर्फ ट्रक ड्राइवर है. लेवल चार ड्राइवर को ट्रक की चाबी, मोबाइल और ज़रूरी कागज़ सौंपता है. ड्राइवर को सिर्फ ये पता होता है कि ट्रक को कहां, कौन से ढाबे पर छोड़ना है. ट्रक वहां पहुंचाने के बाद ड्राइवर लेवल चार को खबर दे देता है. इस काम के बदले ड्राइवर को 40 से 45 हजार रुपये मिलते हैं. खास बात ये कि शराब तस्करी के इस काम में छोटा-बड़ा हर लेन-देन सिर्फ हवाला के ज़रिए किया जाता है. जब जिस लेवल का काम पूरा होता है, तब मोबाइल पर उसे हवाला ट्रेडर का मोबाइल नम्बर देकर कोड बता दिया जाता है. जैसे ही ट्रक अपनी मंज़िल पर पहुंचता है, सभी लेवल के लोग अपने-अपने मोबाइल और सिम कार्ड तोड़ देते हैं.