वास्तु शास्त्र में घडी का बहुत बड़ा रोल है। वैसे भी घड़ी किसी भी घर के लिए एक जरूरी यंत्र है। हमारे पूर्वजों के समय से लेकर आज तक घडी के स्वरूप में अनेक बदलाव हो चुके हैं, लेकिन एक चीज कभी नहीं बदली और वो है समय। यह हमेशा अपनी नियमित गति से चलता है। भारतीय वास्तु शास्त्र में बताया गया है की घड़ी किस प्रकार मनुष्य के लिए अच्छा और बुरा समय लेकर आती है।
जीवन में करें शुभ समय की शुरुआत:
# वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के दक्षिणी हिस्से में कभी घड़ी नहीं लगानी चाहिए। दक्षिण में लगाई हुई घड़ी परिजनों की आयु और सौभाग्य के लिए अशुभ मानी जाती है।
# बहुत पुरानी, बार-बार खराब होने वाली और धुंधले शीशे वाली घड़ियां भी शुभ नहीं मानी जातीं। ये परिवार की सफलता में बाधक होती हैं। इससे परिश्रम का उचित फल नहीं मिलता।
# कमरे का दरवाजा, जहां से मनुष्य ही नहीं प्रकृति की ऊर्जा भी प्रवेश करती है। दरवाजे पर घड़ी लगाना शुभ नहीं माना गया है। इससे घर में खुशियों के क्षण प्रवेश नहीं करते और परिवार में अच्छा माहौल नहीं रहता।
# कार्यस्थल पर ऐसी घड़ी होनी चाहिए जो आकार में कुछ बड़ी, साफ और दिखने में सुंदर हो। बहुत पुरानी और रुक-रुक कर चलने वाली घड़ी कार्यालय में नकारात्मक ऊर्जा तथा सुस्ती लाती हैं।
# बंद घड़ी ठहराव और पतन का सूचक होती हैं। घर में भी बंद घड़ी शुभ नहीं मानी जाती। अगर ऐसी घड़ी चलने लायक न हो तो उसे उतारकर पुराने सामान के साथ रख देना चाहिए।